मंगलवार, 27 जनवरी 2009
सचिन तेंदुलकर
मुंबई आतंकी हमले
26 नवंबर 2008 की रात मुंबई पे सबसे भयानक आतंकी हमले हुए। दस आतंकी ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया पे समंदर द्वारा पहुचे। दहशत फ़ैलाने के लीये एक नाव का अपहरण करके वे लोग उधर पहुँचें । अजमल अमीर कसाब जो लश्कर-ए-तोइबा के लिये काम करता है जिंदा पकडा गया और तब से उसपर सख्त कारवाई की जा रही है। लश्कर-ए-तोइबा एक पाकिस्तानी कश्मीर का हिस्सा माना जाता है। इसको पकडते वक्त महराष्ट्र पुलिस के तुकाराम ओमब्ले को अपनी जान गवानी पडी। भारत का आर्थिक मुख्य शहर मुंबई के कई स्थलों पर इन गुंडों ने दहशत फ़ैलाया और ज्यादातर पश्चिम देशों के नागरिकों पर हमला किया। ताज महल होटल जो मुंबई की तो शान हैं को भी इन आतंकियों ने नहीं छोडा और उधर 197 लोग मर गये और 308 लोग घायल हुए। 36 घंटों से ज्यादा समय तक शहर मानो थम सा गया था और अगर एन-एस-जी के वीर जवानों ने अपनी जान दावे पर लगा के देश की सुरक्षा के लिये लढाई नहीं की होती तो और भी कयी लोग अपनी जान गवा बैठते। इस से यहीं साफ़ होता हैं की भारत अपनी सुरक्षा अभी तक नहीं कर सकता है और समय आ गया है कि आम नागरिक जाग उठे और सब से पहले अपने नेताओं को सबक सिखायें। जागो भारत जागो।
"बारिश में टेहेलना"
विश्वविद्यालय
दुबई में, मैं एक भारतीय पाठशाला में पढ़ता था. मेरे सारे दोस्त भारतीय थे और अम्रीका आने के बाद मेरे सारे पड़ोसी अमरीकी थे. पहले दो हफ्तों के लिए मुझे बहुत अजीब लगा की आस पास कोई भी भारतीय नहीं थे. यह सोचते हुए मुझे डर लगा की शायद कालेज में मेरे कोई भारतीय दोस्त नहीं होंगे.
परन्तु शीग्र मेरे बहुत दोस्त बने. मिशिगन में आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त अमरीकी हैं. उन्होंने मेरा संक्रमण बहुत आसान बना दिया. आजकल घर की याद इतनी नहीं आती है और मिशिगन में मुझे जीवन भर के मित्र बने हैं.
सोमवार, 26 जनवरी 2009
गोवा
खुद के बारे में!!
शहीद भगत सिंह
दोस्ती
गणतंत्र दिवस
हर साल हमारे देश के राष्ट्रपति जो कि भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर है वे नौसेना से लेकर वायु सेना के परेड के सलामी लेते है. यह परेड दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर लाल किल्ला तक होता है जहा राष्ट्रपति पूरे देश को भाषण देते है, उनके धैर्य को जागने के लिए, उन लोगो को याद करने के लिए जिन्होंने हमारे देश कि स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन सौंप लिया.
देश के पाठशालाओ में भी स्वतंत्र दिवस के दिन पर झंडावंदन होता है. भाषण होते है और अतिथि वक्ता को आमंत्रित किया जाता है.
इस साल दुर्भाग्य से हमारे राष्ट्रपति उनके कर्तव्य कर न पाए क्यूंकि उनको दिल के सर्जरी गुजरना पड़ा. लेकिन हम उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्राथना करते है ताकि वे जल्द से जल्द अपना कम शुरू कर सके और हमारे महँ देश को और आगे बढाये.
शनिवार, 24 जनवरी 2009
पेटूमल-राजकुमारी
जब वह दस साल की उमर पाहुची, राजा ने उसको एक बड़ा उपहार दिया - चार पैर का ऊंच्चा डिब्बा और क्या थे डिब्बे में? कैंदियाँ! कैंडी ने उपहार खोला और संतोष से वह बेहोश हो गयी. मैं कैंडी की सबसे अच्छी दासी
हूँ और उस आपातकाल में, फट से सवाल सोचकर, मैं नाहर से ठंडी पानी ले आयी। उसके बाद मैंने राजकुमारी की चहरे की तरफ पानी फेंका. जो कुच्छ मैंने किया इस राजभवन में, मैं कैंडी की बला से करती थी ओर आज भी. कैंडी अपनी जिम्मेदारी समझकर, मैंने विधाता के हथों में कैंडी की देखबाल छोडी।
राजा को शांत करने के बाद, कुच्छ और बखेडा हुआ। मैनें राजकुमारी की तरफ देखी और डर गयी। रह-रहकर वह पेटूमल बंगयी। उसका पेट कितना बड़ा होगया जैसे किसी ने उसका पेट पर लात मारा और नही उसके पास पेट भरने का समान। उस पल में, वह गरीब और भूकी बच्ची जैसी लगती थी। राजा का चेहरा उतर गया और उन्होंने उसकी बेटी कि परवाह किया। परन्तु राजा और मैं भी बेवकूफ बन गए.... सुनो कैसे।
थोड़े वक्त के बाद, मंजील पर मैनें कैंडी का उपहार देखा, खोला और कैंडी को दो-तीन कैंडीयाँ खिलाया। वह बेहोशी से लौटी और रात में उसकी पेट भी कम होगायी। लेकिन आज तक हर रत, जैसे गुरुजी ने कहा कैंडी की जन्म पत्री देखकर, कैंडी सहसा उठ जाती है बड़ा पेट के कारण। वैसे मैं उसकी दासी हुँ इसलिए मुझे उसके कमरे में सोने पड़ती हुँ उसको कैंडी खिलाने के लिए।
तो फिर अंत में, राजकुमारी पलंगे के मध्य, मैं बाये बाजू, और कैंदीयाँ दायें बाजू। कल रात राजकुमारी का पेट फट गया जैसे बलून फट जाते है। ओहो मैंने कहा। पेट की बिमारी की आड़ में कैंडी हर रात को कैंडी खाती है। उसने अपना उल्लू सीधा किया और मैं शर्म से गड़ गयी। आज राजा ने दूसरा बार राजकुमारी का नाम बदल दिया - पेटुमल राजकुमारी!
शुक्रवार, 23 जनवरी 2009
मिचिगन की सर्दी
हजारों ख्वाहिशें ऐसी...
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले."
प्रस्तुत पंक्तियाँ मिर्जा गालिब की ग़ज़ल से ली गयीं हैं. इन पंक्तियों में मिर्जा गालिब ने बड़ी ही सुन्दरता से मनुष्य के असंतोषी स्वभाव का वर्णन किया है.
मानव हिर्दय बड़ा ही लोभी और असंतोषी होंता है. उसके दिल में इक्छायें अकान्शाएं और अभिलाषाएं निरंतर जनम लेती रहती हैं,और उनका कहीं अंत नहीं होता है. मनुष्य जब किसी वस्तू, धन या मान मर्यादा को पाने की कामना करता है तो उसको पाने के बाद भी उसे संतोष नहीं होता है. फिर मनुष्य उससे ज़्यादा और बेहतर की कामना करने लगता है. उद्हारण के लिए, किसी मनुष्य के पास अगर घर नहीं है तो वह अपनी सर पर एक छत की कामना करता है. जब वह मिल जाता है तब फिर वह उससे बड़े घर, गाड़ी, बंगला नौकर चाकर सबकी कामना करने लगता है. इस तरह उसके अरमान जितने भी पूरे हों उसे कम ही लगते हों कहीं न कहीं मनुष्य की यही प्रकृति उसे सफलता की तरफ़ बढाती है.
इस प्रकार गालिब की ये पंक्तियाँ हमें यह सीख देती हैं कि हम ज़िन्दगी में ख्वाहिशें ज़रूर रखें लेकिन उनकी प्राप्ति के बाद उन पर संतुष्टठ होना सीख लें.
गुरुवार, 22 जनवरी 2009
"क्या सही और क्या ग़लत?"
फेसबुक!!!
अपने बारे मैं
मै हिन्दी दसवी कक्षा तक पढ़ा हूँ. पढने लिखने और समझने में मुझे कोई कठिनाई नही परंतु सिर्फ़ बातचीत करते समय मुझे हिन्दी बोलने में आत्मविश्वास नही. इसी आशा में मैंने यह कक्षा में पंजीकरण किया हूँ कि मै हिन्दी ठीक से बोल सकू.
मेरे शौक हैं गाने सुनना, गाड़ी चलाना, दोस्तों के साथ मस्ती करना और खेल कूद करना. मैं फिल्मो का बड़ा शौकीन हूँ. सबसे नई फ़िल्म जो मैंने दखी वोह घजनी है. मेरे अनुसार घजनी इतनी खूब नही. इससे बेहतर है स्ल्म्दोग मिल्लिओनर है जो मेरे अनुसार परदेसियों को भारत वर्ष में गरीबों के जीवन में कठिनाइयों कि झलक देता हैं.
इसी विषय पर में आप से विदा लेता हूँ. तब तक के लिए अलविदा.
बुधवार, 21 जनवरी 2009
बराक का बड़ा दिन
कल टीवी देख-देखकर, मेरी आंखे से कभी आंसू आगये और कभी मेरी दिल में हमारा देश की शान्ति के लिए प्रार्थना आजाता था। इस पल में, मेरा प्रार्थना है की बराक ओबामा उनका स्वधर्म करें और इस देशा की कटिनाइयाँ दूर करें। लेकिन बराक भी हमें याद दिलाते है कि इस देश का सुधार करने के लिए, हम अपने आप को बदलना चाहिये। उनका कहना है कि हमारे जीवन में जिम्मेदारी, महनत और साहस होना जरूरी हैं। जैसे पायलट ने हवाई जहाज का दुर्घटना में उनके सवारियों को बचा, वैसे हम भी दया और अभय से हमारा जीवन सफल होगा ।
आज तक आप भी कल के बारे में टीवी में देखा और सुना होगा । कहते है- कल वोशिंग्टन दी. सी. मॉल में दो करोड़ लोगों ने तंड में नया राष्ट्रपति का बड़ा दिन मना रहे थे। लोगो के चहरे पे तंड के इलावा खुशी थे और सब लोगो की मुस्कुराते से मैं भी पूरा दिन मुस्कुरा रही थी .
मंगलवार, 20 जनवरी 2009
प्रकृति से शिक्षा
फूलों से नित हसना सीखो, भौंरों से नित गाना,
तरु की झुकी डालियों से सिखों शीश झुकाना |
कवि अपने पाठको से यही कहना चाहते हैं की जिस प्रकार फूल हमेशा मुस्कराते रहेत हैं एवं खिले हुए नज़र आते हैं, हमें भी उनसे यही प्रेरणा लेनी चाहिए एवं ज़िन्दगी में हमेशा हँसते-मुस्कराते रहना चाहिए | जिस प्रकार भवरे हर घड़ी गाते हुए नज़र आते हैं, उसी प्रकार हमें भी हमेशा हँसते गाते रहना चाहिए | अरथार्ट हमें ज़िन्दगी के हर पल को पूर्ण रूप से जीना चाहिए | कहने का भावः यही है की हमारे जीवन रुपी मार्ग में कई बाधाये आएँगी, परन्तु हमें उन्हें पार कर आगे बढ़ते रहना चाहिए एवं हमेशा खुश रहना चाहिए | कवि यह भी कहते हैं की जिस प्रकार वृक्ष अपनी डालियों को नीचे झुकाता है, उसी प्रकार हमें भी अपना सर नीचे झुकने से शर्माना नहीं चाहिए | कवि के कहने का भावः यह है कि अपना भूल स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है | हम अपनी भूल स्वीकार कर बड़प्पन दिखाते हैं | इस प्रकार अगर हम प्रकृति के सिखाये हुए सिद्धान्तों को अपने ज़िन्दगी का अंग बना लेते हैं तो हम सफलता की राह पर चलेंगे |