शनिवार, 27 सितंबर 2008

चमड़ी

चमड़ी - एक ऐसी चीज़ जिसका अगर हम ख्याल न रखें, तो हमारे स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है छोटी उमर में ही हमारी खाल पर वातावरण का पूर्ण रूप से असर पड़ता है ३ या ४ की उमर में जब हम तेज़ धुप में खेलने जाए तो सूर्य की किरणे हमारी त्वचा को ख़राब कर देती हैं और इससे हमारे चमड़ी पर तत्काल बुरा प्रभाव पड़ता है अगर हम क्रीम या वैसे सामान्य चीज़ें अपनी चमडी पर नहीं लगाएं तो दस साल बाद हमें बाहर जाने में शर्म आएगी और यह हमारे आत्मविश्वास को बिगड़ा सकता है

सेहद ख़राब होने की द्रष्टिकोण पर वापस लौटकर, हम यह कह सकते हैं कि ख़राब खाल से शरारीरिक असर ही नहीं परन्तु मानसिक असर भी पड़ता है देखें तो चमडी से सम्बंधित बीमारयों में एक आम वाला एक्जीमा है सिंगापुर में मेरी कक्षा में एक विद्यार्थी को इस बीमारी की बदकिस्मती थी और साफ़ साफ़ नज़र आता था कि वह अपने दैनिक कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाता था कक्षा में बैठे वह अपनी चमडी को नोचता रहता था और दिन के अंत में उसे इतना गुस्सा आता था कि वह गृहकार्य समय पर पूर्ण नहीं कर पाता था अगर यह उसके मुश्किलों को प्रमाणित नहीं करता है तो आप उसकी परीक्षा की हालत सुनो एक दफा उसने आधे से कम परीक्षा ख़तम करके अध्यापक को पेपर दे दिया और जब उसे पूछा गया तो उसने एक ही पंक्ति में जवाब दी, " माफ़ कीजियेगा, मैं आधे समय खारिश कर रहा था"
बुरी चमड़ी हमारे शारीरिक और मानसिक योग्यताओं को ही ख़राब नहीं करती है परन्तु हमारे शरीर के दूसरे अंगों की योग्यताओं को भी ख़राब कर देती हैं कभी कभी चेहरे पे अगर मोटे मोटे ढेर उग जायें, तो देखने और सून्गने में अधिक कठिनाई आ जाती हैं और दिन ब दिन आसान कार्य पूरे करना उन लोगों के लिए असंभव हो जाता है
मैं बाहर हर माता पिता से निवेदन करना चाहूँगा कि छोटी उमर में ही अपने बच्चों की खाल की देखभाल करें ताकि उनके बच्चों और उनकों पछताना न पड़े!

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