शुक्रवार, 28 सितंबर 2007

अनगिनत सवाले

पढ़ते - पढ़ते मेरे मॅन मे ऐसे बहुत सवाल उठते हैं जिसका जवाब मेरे पास नहीं होता है - हम यहाँ घर से दूर अपने रिश्तेदारों को छोड़कर क्यों आये हैं? जिन्दगी के इस छोटे धागे से मैं अपना जीवन कैसे सी रहां हूँ? जिन लोगो के साथ मेरा नाता बच्च्पन से चलता आ रहा है, क्या इन बंधनो को छोड़कर इतनी दूर चले आना ज़रूरी है? ऐसे ही बहुत सवाल मेरे मॅन को उदासी से भारी कर लेते हैं ।

मैं घर से कोसों दूर अपनी जिन्दगी बनाने के लिये आया हूँ । यह वही घर हैं जिसमे मैं पाल पोसकर बड़ा हुआ हूँ। जिसमे मैंने जिन्दगी के पहले कददम लिये हैं, जिसमे मैं जवान हुआ, जिसमे मेरे परीवार ने मुझे ढेड़ सारा प्यार और खुशिया दी हैं। इस्सी घर को छोड़कर मैं यहाँ अपना घर भसाने चला आया? जिन्दगी के इस भाग-दौड़ में ऐसे सवालो का सामना करने से मैं डरता हूँ। अपने जिन्दगी का रास्ता तो मैंने तये कर लीया हैं, यह भी सूच लीया कि मैं क्या काम करुंगा, काहाँ काम करुंगा, कभ शादी करुंगा। बस, उन्ही लोगो को भूल गया जिनके प्यार में मैंने जिन्दगी देखा हैं - मेरा परीवार। ऐसे बातें हे मेरे तेज गति से चलती हुई ज़िंदगी पर काबू डालती हैं, मुझे छूटे और मीठे पलों में जीने की खासीयत सिखाती हैं। याद दिलाते है मुझे मेरे दिले के छिप्पे हुये बातों की, कि मैं जहाँ रहूँ, मेरा परीवार मेरे साथ है, मेरे पास है ।

बुधवार, 26 सितंबर 2007

समय का महत्त्व

समय का महत्त्व

‘काल करे सो आज कल , आज करे सो अब , पल में परले होएगी , बहूरी करेगा कब’ – कबीरदास

इस छोटी सी पन्क्ती से ही हमें समय के महत्त्व का पता चलता है।मैं इस बात को सिद्ध करना चाह्ता हू कि सही समय पर काम समाप्त करके ही लोग दुनिया में बहुत आगे निकलते है।

अब आप मिशिगन में पढनेवाले विद्यार्थियों को ही देखियें। यहा साधारण विद्यार्थियों को पढाई मुशकिल लगती है। असल में मुझे नहीं लगता है कि मिशिगन इतनी भी मुश्किल महाविद्यालय है । मैंने खुद के मामले में ही देखा है की जब मैं सहीं समय पर काम करता हू मुझे उस्स क्लास में बहुत अच्छे अन्क मिलते है। पर जब में अस्साईन्मेंट्स समय पर नहीं खत्म करता हू , क्लासेस में नहीं जाता हू या सहीं समय पर पढाई नहीं करता हू तो मैं उस्स क्लास में सफ़लता नहीं पाता हू।

बहुत ज़ोर लगा के भी पढने की ज़रूरत नहीं है।अगर आप सिर्फ़ दो घन्टे की भी पढाई रोज़ करेगे तो काफ़ी है। लेकीन हम इन्सान है और जब तक काम गले तक नहीं आ जाता हम काम पूरा नहीं करते हैं। यह बहुत गलत बात है और अगर हमें आगे बढना है तो हमें हमारी ज़िन्दगी अनुशासन से जीनी होगी।

आप को लग रहा होगा की में ऐसी बात क्यों कर रहा हू जो सब को मालूम है।इसका कारण यही है कि सब लोग इस बात को जानते हुए भी गलत राह पर चलते हैं।

-Shamin Asaikar

मिशिगन की थन्डी

मिशिगन की थन्डी

हर अन्तरराष्ट्रीय फ़्रेश्मॅन को इस बात का बहुत डर होता है की वह मिशिगन की थन्डि को सामना कैसे करेगा।कोय थन्डी की राह देखता है तो कोय थन्डी को गालीया देता है।

अब सितम्बर का महीना चल रहा है, थोडे ही दिनों में अक्तूबर चालू हो जायेगा और उसके साथ ढेर सारी थन्डी भी।

मैनें मेरे पहले साल के पहले ऐसी थन्डी का सामना नहीं किया था। पर मुझे इस तरह की भयानक थन्डी बहुत पसन्द आयी। लोग मुझे पागल कहते है लेकिन मुझे मिशिगन की थन्डी से बहुत प्यार है। इसके काफ़ी कारण है।

थन्डी के कपडे अलग होते है। मुम्बई में मैंने ऐसे वस्त्रों का उपयोग कभी नहीं किया था। अच्छे जॅकेट्स और स्वेटर्स जो मुम्बई में इस्तमाल नहीं कर सकते उनको इस्तमाल करने की सन्धी मिलती है।

और फ़िर क्योंकि मैं मुम्बई से हू मुझे गरमी से सख्त नफ़्रत है।मुम्बई का वातावरण कुछ ज्यादा ही चिपचिपा है। मिशिगन में थन्डी के समय ऐसे लगता है जैसे किसी ने मेरे कमरे में ही ए-सी लगा दिया हो।

फ़िर सब जगा बरफ़ रात के समय में बहुत सुन्दर लगता है।पेड़ के सभी पत्ते गिर जाते है और पूरा सन्सार थन्डी से मानो डर जाता है। इस द्रुश्य को देखकर सबको थन्डी की शक्ति का पता चलता है।

-Shamin Asaikar

मंगलवार, 25 सितंबर 2007

‘ताज महल’

‘ताज महल’
ताज महल आगरा शहर में स्थित है और इस इमारत का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था। उन्होंने ताज महल अपनी बीवी मुम्ताज़ महल के याद में बनाया था और मुम्ताज़ महल का कब्र इस्में रखा है। दुनिया के सात सबसे अच्छे ‘वन्डर्स औफ़ द वर्ल्ड’ में इसे गिना जाता है। इतिहास में भारतीय वास्तुकला का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ताज महल है। माना जाता है कि बहुत सालों तक अंग्रेज यह नहीं मान पाये कि भारत या पूर्वी जगत में कोई भी ऐसी किसी इमारत बना सकता है। ताजमहल के निर्माण में किसी एक नहीं बल्कि हज़ारों कलाकारों का हाथ था, किन्तु किसी का भी नाम पता नहीं हैं। माना जाता है कि शाहजहाँ ने इन सब कलाकारों की ऊन्ग्लियां कटवा दिये ताकि और एक ताज महल बन न सके। परंतु अब यह पक्का पता है कि ताज महल का निर्माण भारतीय कारीगरों ने भारत या इस्लामी जगत के कलाकारों के साथ ही किया था। परन्तु ताज महल के मुख्य कलाकार उस्ताद अहमद लहौरी माने जाते है। 1648 में सारी ताज महल की इमारतें बन चुकी थी। ताज महल के बनने के बाद तुरन्त ही शाहजहाँ के पुत्र औरन्गज़ेब ने अन्हें आग्रा फ़ोर्ट में बन्द कर दिया और उन्होंने अपना बाकी हुआ सारा समय ताज महल को देखते हुए गुज़ारा।

-ॠषित दवे

होली का त्योहार

भारत देश त्योहारों का देश है। यहाँ अलग, अलग धर्मों के लोग, अलग अलग त्योहार मनाते हैं। इन ही त्योहारों में से एक विषेश त्योहार होली का त्योहार होली होता है। यह त्योहार फ़ागुन के महीने में मनाया जाता है। यह पर्व बसंत ॠतु के आगमन का संदेश लाता है।

कहा जाता है कि जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत, प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ था। उसके पिता, असुर राज हिरण्यकश्यप का आदेश था, कि उसके राज्य में कोइ ईश्वर की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकश्यप की बहन, होलिका, जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गइ, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गइ। अगले दिन भग्वान विष्णु ने नर्सिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार दिया और सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस ही अवसर को याद कर होली मनाई जाती है।

होली सर्वप्रथम रंगों का त्योहार होता है। होली के अवसर पर, बच्चे और बड़े, सभी अपने मित्रों और प्रिय सम्बधियों को रंग और गुलाल लगाकर, उनके प्रति अपने स्नेह का प्रदर्शन करते है। यह त्योहार बच्चों को अत्यंत प्रिय होता है। इस त्योहार के दिन सारे बच्चे अपनी पिचकारियों में पानी और रंग भरकर, अपने मित्रों पर खेल में आक्रमण करते हैं। संध्या के समय लोग नए वस्त्र पहन कर, शत्रुता की सारी भावनाएँ भूल कर, एक दूसरे से प्रेम से मिलते हैं। यह त्योहार देश में हर्ष उल्लास और भाईचारे का मौसम ला देता है।

दीपावली का त्योहार

दीपावली भारतवसियों के सर्व्श्रेष्ठ त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मर्यादा पुरुशोत्त्म श्री राम के लंका पर विजय प्राप्त कर, 14 वर्ष के वनवास को पूर्ण करने के बाद, उनके स्वागत स्वरूप मनाया जाता है। वस्तुतः यह त्योहार असत्य पर सत्य की विजय, तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। दीपवली का पर्व सम्पूर्ण भारत में हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व सुख और समृद्धि का भी प्रतीक है। लोग अपनी क्षमता के अनुसार अपने घर को सजाते हैं तथा अपनी खुशियाँ अपने सम्बधियों और मित्रों के साथ बाँटते हैं।

यह त्योहार शरद ॠतु के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग बुद्धि के देव श्री ग़णेश तथा समृद्धि की देवी श्री लक्ष्मी की पूजा करते हैं। गणेश विद्या और बुद्धि के देव हैं, इसलिये विद्यार्थी पूजा के समय, और पुस्तक पढ़कर अपनी बुद्धि के विकास की प्रर्थना करते हैं। घर के सभी लोग सुख समृद्धि के लिये, माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, घर को दीपों से सजाया जाता है। इस ही करण दीपावली दीपों का त्योहार कहलाती है। लोग सद्भावना से अपने सबन्धियों के घर जाकर मिठाइयाँ बाँटते हैं। हर गाँव और शहर दीपों से सज जाता है। दीपावली के अवसर पर पटाके भी फोड़े जाते हैं, और वातावरण, इन पटाकों से गूँज उठता है। यह त्योहार खुशियों का त्योहार है जो सबके मन को हर्ष से भर देता है।

भारत का गणतंत्र दिवस

भारत को गण्तंत्रता आज से 57 साल पूर्व 26 जनवरी 1950 को हासिल हुइ थी। उस दिन भारत एक गण्तत्र रज्य हुआ था। तब से सारे देश में 26 जनवरी गण्तंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस पर पूरे देश भर में छुट्टी मनाई जाती है। गणतंत्र दिवस पर भारत के प्रधान मंत्री दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा लहराते हैं। उसके बाद गणतंत्र दिवस की परेड होती है, जिसमें अनेक झाँकियाँ भी दिखाई जाती हैं। भारत का एक एक प्रदेश एक झाँकी प्रस्तुत करता है। इस परेड में भारत की सांस्कृतिक विभिन्नता की झलक दिखती है। इसके बाद भारतीय सेना, अपनी फ़ायर पावर का प्रदर्शण करती है। इसके बाद सेएन अपने उन वीर जवानों को महावीर चक्र से पुरुस्क्रित करती है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना देश की रक्षा में अपनी जान की आहूति दे दी। इस दिन पर भारतीय सरकार उन बच्चों को आदर देती है जो अपनी जान पर खेल कर किसी और कइ जान को बचाया है। सभी स्कूलों में भी इस दिन पर भारतीय झंडा लहराया जाता है और राष्ट्र गान भी गाया जाता है। इस दिन पर सभी लोग अपने परिवार के साथ इस दिन का लुफ़्त उठाते हैं। यह दिन सभी भरतीयों के लिये बहुत महत्त्व्पूर्ण है।

मेरी बर्कली की यात्रा

यूनिवर्सिटी औफ़ कैलीफ़ोरनिया - बर्कली विश्व ज्ञात यूनिवर्सिटियों मे से एक है बर्कली सैन फ़्रानसिस्को की सिटी से 150 मील की दूरी पर है। इस गरमी मैं बर्कली गणित की क्लास लेने के लिये गया था। बर्कली की गणित विश्व में सबसे अच्छी में से एक मानी जाती है। बर्कली का मेरा पहला दिन, 25 जून, कफ़ी दिल्चस्प रहा। नए कैम्पस को देखकर मैं बहुत उत्साहित था। कक्षा शुरू होने के एक सप्ताह बाद ही हमेंएल्कट्रैज़ प्रिज़नसैर करने के लिये गये। यह सफ़र एक मन दहलाने वाला रहा। यहाँ पर हमने दुनिया के सबसे कठोर मुजरिमों (जैसे एल-कपोन , मशीन गन कैली इत्यादि) के जेलखाने भी देखे एल्क्ट्रैज़ की यात्रा बहुत ही मनोरंजक एवं ज्ञान पूर्वक रही। हम सैन फ़्रांसिस्को केपियरकी सैर करने का भी मौका मिल गया। पियर पर अत्यधिक सुन्दर पक्षियों का भी लुफ़्त उठाया। मुझे जीवन में पहली बार, वाल्रस भी देखने का मौका मिला। मैं मौन्ट्रे बे भी गया था जहाँ मैने अन्य प्रकार की मछलियाँ और समुद्र में रहने वाले अन्य जीव, जैसे औक्टोपस, सी हार्स इत्यादि देखे। मैंने सर्फ़िंग का भी लुफ़्त उठाया। ग़ोल्डन गेट ब्रिज देखे बिना सैन फ़्रान्सिस्को की यत्रा अधूरी सी ही होती। यह दृश्य विषेश था। बर्कली की यह यात्रा बहुत सुहानी एवं मनोरंजक थी।

20-20 विश्व युद्घ क्रिकेट फ़ाइनल

कल 20-20 विश्व युद्घ क्रिकेट फ़ाइनल था।यह मॅच भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था। ऐसे भी भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का खेल कोई महायुद्घ से कम नहीं होता है।दोनों टीमों ने वेस्ट इन्डीज़ में खेले गये विश्व कप में बहुत खराब प्रदषण किया था और इसीलिये उन्हें यह 20 ओवर वाली गेम जितने का बडा ख्वाब था। में यह मॅच देखने के लिये अपने दोस्त के वहा गया था जिधर हम 10-12 हिन्दुस्तानी और उतने ही पाकिस्तानी एक दुसरे की टीम को बढावा दे रहे थे।भारत ने 157 रन्स बनाये थे जो सबको बहुत कम रन लगे।परन्तु भारत के गेन्दबाज़ों ने मानो कमाल कर दिखाया और पाकिस्तान उनके 15 ओवर बाद बहुत ही खराब दशा में सात विकेट खो कर बैठे थे। हमारे पाकिस्तानी दोस्तों ने अपने ही टीम पर भरोसा छोड दिया।परन्तु तभी बिस्मह उल हाक जो पाकिस्तानी बल्लेबाज़ है और उसने 5 गेन्दो में चार छक्के उठा लिये और पाकिस्तान में नयी जान डालदी। हम हिन्दुस्तानी जो भारत का झन्डा ले कर गये थे शर्म से उसे फ़ैलाना ही बन्द कर दिया था।मॅच अन्तिम ओवर तक चला गया। इस ओवर में पकिस्तान को बारह रन चाहिए थे और उन्होने दुसरे गेन्द पर ही छक्का मार दिया। हमें लगा कि भारत अब तो हार ही गयी परन्तु अगले ही गेन्द पर पकिस्तान का आखरी विकेट गिर गया और हम 20-20 विश्व युद्घ क्रिकेट जीत गये।यह होते ही हमने चक दे इन्डीया गाना लगाया और खुशी से नाच उठे।
-ॠषित दवे

एक सुहाना सफ़र ' भाग ३ '

शिकागो के गम्भीर ट्राफिक से निकल कर हम इल्लिनोई को काटते हुए पूरव की ओर विस्कोंसिन के तरफ बढ़े| इल्लिनोई के शिकागो की ट्राफिक ने परेशान कर दिया था और बाकी जिले के सड़कों ने | अनुभव हुआ कि हम हर १० मील पर टोल भर रहे थे परंतु सड़कें और खराब होते जाती | टोल बूथ तो काफी सुन्दर शीशे की बनीं थी, पर सरक उतनी ही खराब दिखाई देती | "कया करती है सरकार हमारे टोल की?" मैंने माई से कहा | खैर वहां से निकले और जान बची लाखों पाए|
विस्कोंसन पहुंच कर हम पच्छिम की ओर बढ़ने लगे | लक्रोस विस्कोंसों के पच्छिम बॉर्डर पर स्थित है | सात बज चुके थे अब तक और हमारे आगे और २ घंटों का सफ़र था कि माई को एक मोल दिखा और वहां २ मिनट रुकने के लिए उसने मुझे कहा | मुझे मालुम थे की उसके मोल के दो मिनट कम से कम एक घंटा खराब कर्देंगे | फिर बग़ैर बहस किये मैं हाई वे से उतर कर उसे वहां ले आया | उसे मोल मैं घूमने और ढ़ेर सारा शाप्पिंग करने का शोक था | मैंने पुरे दिन मैं पहली बार उसके मुह पर मुस्कान देखी | वहां से निकलने तक ८ बज गए थे , ठीक जैसा मैंने सोचा था, पर उसे खुश देख कर मुझे भी ख़ुशी मिलती | लक्रोस पहुँचते पहुँचते ९:३० बज गए और अँधेरा भी हो गया था | किस्मत आची थी की हमे वहां होटल आचे दाम मैं मिल गया | समन कमरे मैं रखकर हम आस पास किसी इटैलियन रेस्त्रैन्त मैं खाना खा लिया | हमारे सफ़र का पहला दिन सफल हुआ |

एक सुहाना सफ़र ' भाग २ '

घबराहट की वज़ह यह भी थी कि पिछले साल गाड़ी कई बार मरम्मत होने गैरेज गई | अगर किसी सुनसान जगह मे गाड़ी खराब हुई तो बहुत बरी मुसीबत आ जायेगी | कई ऐसे स्थानों मैं सैल्लुलर फोन भी नही काम करते थे | इसीलिये हम ने तै किया कि हम केवल सुर्य आस्थ तक रोज़ चलेंगे और फिर किसी शेहेर मैं रात के लिए रूक जायेंगे | और मोंटाना, वायोमिंग और आइडहो के पहाड़ी इलाक़ों मैं अँधेरा होने पर चलने मैं काफी खतरा है | यह सफ़र तो मनोरंजन का नहीं पर एक इम्तिहान जैसा मालूम हो रह था | फिर भी हमे किसी तरह वाशिंग्टन पहुंचना ही था और सिर्फ चार दिनों में |
आईस कूलर मैं सेन्डविच और सोडा रख कर हम आई - १९६ हाय वे ले कर शिकागो के ओर चले | ग्रांड रेपिड्स से वहां तक का सफ़र पांच बजेह तक पुरा हुआ | शिकागो पहुंच कर दफ्तर से निकलने वाले लोगों के याता-यात मैं लगभग २ घंटे खराब हुए | वैसे तो हम उस दिन सू फाल्स, मिनिसोटा तक पहुंचना चाहते थे पर ऐसा लग रह था कि अँधेरा होने पर केवल लक्रोस, विस्कोंसन तक ही पहुंच पाएंगे |

रविवार, 23 सितंबर 2007

इस सेमेस्टर का मुश्किल

मेरे इस सेमेस्टर के क्लास्सेस थोरे कठिन है। मैं इस बार सत्हरा क्रेडिट्स ले रहीं हूँ। मैं छे क्लास्सेस ले रहीं हूँ। एक क्लास यह हिंदी क्लास है। और प्लांट बिओलोजी है, रिसर्च है, एन्दोक्रिनोलोजी है, डान्स है, बिओकेमिस्त्री का पडाने का क्लास है। रोज दिन मेरा सिर्फ एक या दो घंटे का ब्रेक हो ता है। मैं घर साथ बाझे लौट ती हूँ। ऊसके बाद तीन या चार घंटे केलिए पडती हूँ। रोस दिन मैं सिर्फ छे घंटे केलिए सोती हूँ। लेकिन एक बात अच्छा है कि फ़्रआइडे कोई क्लास्सेस नही होते है। लेकिन फ़्रआइडे को मुझे रिसर्च जाना पडती ता है। इस दिन मैं बहुत सोती हूँ। लेकिन बिज़ी रहना अच्छा है। अगर कुछ करने को नहीं होता तो बहुत बोर हो जा ती।

गुरुवार, 20 सितंबर 2007

पस्चिम्मी सभ्यता का अस्सर

घर से कोसों दूर हम यहाँ महाविद्यालय में अपने जीवन के जड़ मजबूत करने आते हैतकनीकी विकास के कारण अब दुनिया के एक कोने से दुसरे कोने तक यात्रा करना मुमकिन ही नहीं, आसान हो गया हैदुनिया एक चक्कर पूरा करता नहीं हैं कि हम भारत से अम्रीका देश मे प्रवेश कर लेते हैंइन ही विकासों के करण जिन्दगी की गति बढ g है साथ ही साथ ज़्यादा प्रतिस्पर्धा हो गयी हैऐसे हलाथो में ज़िंदगी काबलांस बहुत महत्वपूर्ण हैंमहाविद्यालय में प्रवेश करने के बाद विद्यार्थियों का दृष्टिकोण इस क़दर बदल जाता हैं कि वे किस्सी भी तरफ आसानी से आकर्षित हो जाते हैं, चाहे वोह अच्छाई का पथ हो या बुराई काइन विचारों को मॅन में रख कर, मैंने अपनी जिन्दगी को नया लक्ष दियाऐसे लगता ही नहीं हैं कि इस लक्ष को रूप देते हुए दो साल बीत गएअक्क्सर मैं अपने आप से पूछता हूँ कि और कितना वक्त बाक़ी हैं जिन्दगी के दुसरे पड़ाव के लीये? वक्त गया हैं की मैं खुद अपने पैर पर खड़ा हो जाऊं और अपने माता पिता का सर ऊचा कर दु!

मंगलवार, 18 सितंबर 2007

एक सुहाना सफ़र 'भाग १'

घर से चल चुके थे हम | मेरी प्रियतमा माई और मैं थे गाड़ी मे और हमारे आगे के सेक्ड़ो मील लंबी स्ड़क | ऐटलस मे अपने रस्ते को समझ लिया था हम ने | इन् चार दिनों के सफ़र में हम मिशिगन से निकल कर इल्लिनोई, विस्कोंसिन, मिनिसोटा, साऊथ डकोटा, वायोमिंग, मोंटाना, आईडहो और अन्त मैं वाशिंग्टन पहुंचना चाहते थे | इतने लंबे सफ़र मे मैंने सोचा की किसी का साथ होना ज़रूरी है | सुबहे को मैं गाड़ी चलाता और लंच खाने के बाद माई चलती और फिर शाम होने पर मैं चलाता | इस तारा हम मैं से किसी को कभी बहुत थकन नहीं महसूस हुई |
मेरे कुछ दोस्तों, जिन्होंने पहले बोयींग काम किया था , ने बताया कि रस्ते मैं बहुत से घूमने फिरने के जगह हैं | इन् मैं से येल्लो स्टोन नॅशनल पार्क, जो वायोमिंग मैं स्थित है और साऊथ डकोटा के माउंट र्श्मोर मेमोरियल पार्क अमेरिका मैं बहुत मशहूर हैं | इसके अलावा उन्होने यह भी बताया कि रास्ते मैं, खासकर मोंटाना और वायोमिंग में सेक्ड़ों मील तक कोई नही दिखता केवल खुली ज़मीन, आकाश और विशाल रोक्की पर्वत | इन सब के सोच मे मैं थोड़ा घबराया सा था | मुझे घूमने का नही परंतु सुरक्षित और समय पर सियाटल पहुँचने कि इच्छा थी |

मेरा इंडिया का ट्रिप

मैं इस सुम्मेर वाकाशन में इंडिया गई थी। वहा पर मैंने बहूत चीज़े की। पहेले मैं न्यू देल्ही एअरपोर्ट में उतरी। वहा से मैं मेरी नानी के घर गई। उस शहर का नाम है बरेली। वहा पर मेरे मामा, मामी, ऊनके बच्चे, नानाजी, और नानी रहते है। वहा पे बहूत मजा आता है क्योकि कुछ काम नही करना पर्थ है। मेरी तीन ममीया है। वोह सब काम करती है। मैंने बरेली में हिमेश रेशम्मिया का फिल्म देखी। वह बहूत बूरी थी। ऊस्के बाद मजा थोडा कम होने लगा। ऊस्के बाद मैं मुम्बई गई। वहा पर मैं अपनी मौसी के परिवार के संग रही। मजा इसलिये कम हुआ क्योकि मुझे वोलुन्तीरिंग करना पडा। वोलुन्तीरिंग प्रोग्राम में मैंने अन्ग्रेसी और मैथ पढाया। कभी कभी बच्चे मेरी बात नही सुन रहे थे। मूझे ग़ुस्सा आ रहा था। लेकिन मैंने बहुत कोशिश कि ऊंको सम्झानेकी। जो बात मान रहे थे, वोह लोग क्लास में बहुत अच्चा कर रहे थे। वोही लोग आगे बढ़ पायेंगे। वोलुन्तीरिंग के अलावा मैंने बहुत साड़ी जीज़े देखी। मुम्बई का जुहू बाच देखा, और इंडिया गेट देखा। वहा पर मैंने एक बोट पेर छड़ी अपने मौसी के बच्चों साथ। बहुत मजा आया क्योकि बड़ी बड़ी लहेरें बोट को नचा रहीं थीं। फिर हमलोग ने कुईं'एस नेकलेस भी देखा सोभे और रात में भी। चोपाती में खाने में बहुत मजा आया। आख़िर मैं और मेरे कसिन भाई और बहन के साथ पर्त्नेर फिल्म और चक्दे इंडिया देखीं। मैंने इंडिया में कुल चे सफ्था रही। मुझे इंडिया कि अभिभी बहुत याद आ रही है। मैं अगले साल फिर जाऊंगी।